तेरी चोटि नभ छूती है
तेरी जड पहुँच रही पाताल
हिन्दु संस्कृति के वट विशाल॥धृ॥
जाने कितने ही सूर्योदय मध्यान्ह अस्त से तू खेला
जाने कितने तूफानों को तूने निज जीवन में झेला
कितनी किरणों से लिपटी है तेरी शाखाएँ डाल-डाल ॥१॥
जाने कितने प्रिय जीवों ने तुझमें निज नीड़ बनाया है
जाने कितने यात्री गण ने आ रैन बसेरा पाया है
कितने शरणागत पूज रहे तेरा उदारतम अन्तराल ॥२॥
कुछ दुष्टों ने जड़ भी खोदी शाखा तोड़ी पत्ते खींचे
फिर कई विदेशी तत्वों के विष से जड़ के टुकड़े सींचे
पर सफल आज तक नहीं हुई उन मूढ़ जनों की कुटिल चाल ॥३॥
अनगिन शाखाएँ बढ़ती है धरती में मूल पकड़ती हैं
हो अन्तर्विष्ट समष्टि समा वे तेरा पोषण करती है
तुझ में ऐसी ही मिल जाती जैसे सागर में सरित माल ॥४॥
उन्मुक्त हुआ लहराता है छाया अमृत बरसाता ह
Your hurt touches
Hades are reaching your roots
Vatas of Hindu culture
Know how many sunrise you played since midnight
Know how many storms you have endured in your life
How many rays are wrapped in your branches?
Know how many dear creatures have made you a needless person
Know how many travelers have found a shelter
How many refugees are worshiped, your generous interval is 429
Some rascals also dug up the root and pulled the leaves
Then irrigate the root pieces with the poison of many foreign elements
But the foolish trick of those foolish people did not succeed till today
Countless branches grow and hold root in the earth
Ho encompasses the whole society, it nourishes you.
You would have got a similar thing in the ocean like a sari.
Unleashed is waving shadow nectar rain & # 23