امیری ام که سلاحی به غیر آه ندارد
دل مجادله دارد ولی سپاه ندارد
جز آه همنفسم نیست در حجوم دورویی
به غیر آینه این دل،کسی گواه ندارد
تمام عمر نشستم به پای این شب نازا
که آسمانی پر بار و پا به ماه ندارد
پیمبری چو من عاشق،به هیچ قوم نباشد
مسافری چو من این جاده سربراه ندارد
عجب حدیث غریبی است درکتاب شماها
که لا اله بسی دارد واله ندارد !
مرید درگه خویشم ، چنین مرید و مرادی
یقین بدان که نیازی به خانقاه ندارد
به کنج خلوت خود پرسه می زنم چه صفایی
چنان که« خوشتر از این گوشه پادشاه ندارد»
خدا کند نگهش گرد انتظار بگیرد
کسی که حرمت آیینه را نگاه ندارد
Амири, у кого нет оружия, чтобы вздохнуть
У Dell есть спор, но у корпуса нет
Нет однородности, кроме как в лицемерии
К не -миррору этого сердца никто не свидетельствует
Всю мою жизнь сижу на ногах этой бесплодной ночи
Что небеса не перегружены луной
Пимбер Чо, я люблю, ни один
Чо пассажир у меня нет этой дороги
Вау, это странный хадис в вашей книге
У этого у Ла -Аллаха много!
Мой ученик, такой ученик и моради
Конечно, не требуется дом
Я просыпаюсь к своему одинокому углу.
Как «не больше, чем это корольский угол»
Бог медленно ожидает округления.
Тот, кто не сохраняет достоинство зеркала